I search and search
For someone who cares
Anyone who understands
Anyone who dares…
Now i know what i lost
what am searching for
Life won’t be same again
the days won’t be easy again
I search and search
For someone who cares
Anyone who understands
Anyone who dares…
Now i know what i lost
what am searching for
Life won’t be same again
the days won’t be easy again
किताबो के पन्नों में रख
लिया है आपने उन्हें
कहीं वो भी न बिखर जाये
सूखे फूलों जैसे और
गिर पड़े उन पन्नों से
वो और उनकी यादें
कहीं वो उड़ न जाये
सूखे पतों जैसे
उन मदमस्त हवा के झोकें के साथ
वो सूरज की पहली
किरण के साथ
उन चिडयों जैसे
जो बनाते है बसेरा
रात भर के लिए
रखना है तो उन्हें रखे अपनी
जिंदगी के सबसे हसीं पलों में
इस बहाने दो पल तो मिलेंगे
मुस्कुराने के लिए
बात न कर रात
की खामोशिओं की
कर बात उन जगमगाते जुगनू की
जो देते है एहसास तारों का
इस धारा पर
सुबह की पहली किरण
और रात के ओस की बुँदे
दिखाते है, दुनिया के सबसे
अनमोल रत्न की एक झलक
बात नहीं उन्हें याद करने की
बात है ये की कब आपने भुला
दिया उन्हें जो थे आपके इतने करीब
जिनसे थी खुशी आपकी
जिनके गम से थे आप गुम्जादा
जिंदगी रहे या न रहे
रहते है याद जिंदा सभी की
यादों में बसना और बसाना
है थोडा मुश्किल,
पर ए मेरे दोस्त ये
नामुमकिन तो नहीं
रौशन
रंग हो होली का या प्यार का
थोडा खुमार तो चढ़ता है
ऐसे में याद आना उनका
इतना हक तो बनता है
कहते है लोग के प्यार के रंगों से
रहे रंगीन आपकी जिंदगी
फिर जिंदगी में बेरंग सा
वक्त क्यों बनता है
आते हो तुम कुछ पल के लिए
तुम्हे रोकने का हक तो मेरा बनता है
तुम कहो या न कहो
तुम्हारे पास आना तो मेरा बनता है
काश तुम समझती मेरी ख़ामोशी को
फिर भी मेरा खामोश रहना तो बनता है
रौशन
दोस्ती है क्या
ये जाना दोस्तों से
दूर आने के बाद
कभी सोचा नहीं था मैंने
के मेरी जिंदगी होगी
इतनी उदास
अब जाके जाना मैंने
के क्यूँ वो कहते है
के रौशन तू रह नहीं सकता
अकेले तन्हा
काश ऐसी न होती जिंदगी के
मुझे आना पड़ता दूर अपनों से
रौशन
दिवाली आई दिवाली आई
साथ आपने लायी ढेरों खुशियाँ
झिलमिल झिलमिल जलते दीप हर जगह
लगते जैसे आ गए
झिलमिलाते सितारे इस धरा पे
जैसे हो जुगनू
भटकते रात के अंधेरो में
दिवाली आई दिवाली आई
साथ अपने लायी ढेरों खुशियाँ
संग लाई आपने घेरोंदे और मिट्टी के खिलोने
दूर रहते आपनो से मिलने की सौगात
बच्चों के लिए धूम धरके
बड़ों के लिए मीठी सौगात
दिवाली आई दिवाली आई
साथ अपने लायी ढेरों खुशियाँ
सब आपने है आज अपनों के पास
काश में भी होता आज अपनों के पास
इस खुशी के पल में है कुछ मीठा सा एहसास
दिवाली आई दिवाली आई
साथ अपने लायी ढेरों खुशियाँ
सबको हो मुबारक, ये प्यारे पल
खुशी और अपनों का मेल
शोहर्द और भाईचारे का दिन
देवी महालक्ष्मी की हो कृपा आप पे
उमंग और आनंद की हो रौनक
इस पावन मोके पे
हमारी तरफ से शुभकामनाये
आपकी दिवाली हो इस बार
कुछ खास
रौशन
ढल रही है रात धीरे-धीरे ,
सपने रहे है उड़ मेरे आस पास
जैसे हो मेरे भावनाओं की परछाईया
रात और दिल के बीच है
मेरे अपने भ्रम की दीवार
पता है इससे के ढल रही है रात
फिर भी दिल कहता है
रुक जाये रात की ये
गहरी और सुनसान पलें
रात की इन बेदर्द पलों में
रोना चाहता हू मैं
पर अब नहीं है आसूं इन आखों में
रात के अकेलेपन का है
एहसास मुझे पर अब
दिल को मेरे देती है सुकून
ये अकेलापन जो है बिखरी
चारो ओर मेरे
मुझे क्या था पता के
आने वाली है एक तूफानी सुबह
इस खामोश से रात के बाद
रात की खामोसी में मैंने
सुनी बारिश के टिप टीपने को
लगा जैसे रो रहा है वों आसमां
अँधेरे के गहराई में पल पल
टूट रहे थे सपने मेरे
लगा जैसे दूर कहीं
कोई हो ले रहा नाम मेरा
रात ने किये उजागर मेरे
कमज़ोर नग्न आत्मा के
खोखलेपन को
जिसने दिखाई मेरे काल्पनिकता को,
खुद को काल्पनिक अर्थो में छिपाने के लिए
में गया था सब कुछ भूल
आज फिर लगा मुझे एक खालीपन मेरे आस पास
जैसे मेरे स्मृति की गहेरी गलिओं में उठा हो
एक दर्द ,
रात के ढलने में और
मेरे टूटने में जैसे रहा न कोई फर्क
ढल रही रात , मेरे हर एक आँसू के साथ
रौशन
अपने झरोखे से देखा मैंने ,
चाँद छुपा हुआ पीपल तले
जाने क्यूँ उठी एक कसक मन में के काश,
होते तुम भी अभी यहाँ साथ मेरे
देख उस आधे चाँद को
मैंने कहा खुद से,
आज भले है जिंदगी
मेरी आधी अधूरी बिन तेरे,
कभी तो आएगी पूर्णिमा की चांदिनी
मैं तो तेरे इन्तेज़ार में ,
आज भी हूँ बैठा इस किनारे
ठीक उस चकोर की तरह ,
जो बैठ उस पीपल के ताने पे
देख रहा है उस चंद को,
उसकी चांदनी तले
जाने कब होगी ये दूरियां खत्म ,
कहीं उन्ही न बीत जाये जिंदगी मेरी
तेरे आने के इन्तेज़ार में,
माना मैंने कहाँ नहीं तुझसे
तेरे जाने से पहले,
पर अब रह नहीं सकता
एक पल बिना तेरे,
काश मैंने रोक लिए
होते तेरे कदम जाने से पहले ,
तो न होता मैं आज
बेवस और लाचार ,
इस चाँद की चांदनी तले
रौशन
अहसास तो होता है,
तेरे होने का पर दरमियाँ
नहीं होती खत्म ,
चाँद की क्या करू में बात
जाके पूछ ले कोई चकोर से
जिससे है अहसास चांदनी का
पर दरमियाँ है की कम न होती ,
हर वक्त पल पल मर रही है
जैसे जिंदगी ,
उस चाँद की चांदनी तले
रौशन